डीएनए और आरएनए में अंतर ( आरएनए और डीएनए में अंतर ) : डीएनए किसे कहते हैं (What is DNA in hindi), डीएनए के प्रकार, डीएनए की संरचना (Structure of DNA), डीएनए के प्रमुख कार्य, आरएनए किसे कहते हैं (What is RNA in hindi), आरएनए के प्रकार, आरएनए की संरचना, आरएनए के मुख्य कार्य आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।
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किसी भी जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाया जाने वाले तंतुनुमा अणु को डी-ऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल (Deoxyribonucleic acid) या डीएनए (DNA) कहा जाता है। यह मुख्य रूप से एक न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acids) होता है जिसका निर्माण न्यूक्लियोटाइड (nucleotide) के माध्यम से होता है। कई बुद्धिजीवियों का यह मानना है कि डीएनए की खोज अमेरिकी जीवविज्ञानी जेम्स वाटसन (James Watson) एवं अंग्रेजी भौतिक वैज्ञानिक फ्रांसिस क्रिक (Francis Crick) ने वर्ष 1950 के दशक में की थी। जबकि कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि वास्तव में डीएनए की खोज सर्वप्रथम 1860 में स्विस रसायनज्ञ फ्रेडरिक मिशर (Frederick Misher) के द्वारा की गई थी। डीएनए के अंतर्गत किसी भी जीव के संपूर्ण जीवन के विकास, वृद्धि, प्रजनन एवं कार्य आदि के निर्देश समाहित होते हैं। यह एक जटिल एवं लम्बी जंजीर की आकृति वाला अणु होता है जो किसी भी जीवित जीव जैसे मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे एवं समुद्री जीवों की अनुवांशिक विशेषताओं की जानकारी प्रदान करता है। अधिकतर जानवरों एवं पौधों में डीएनए प्रोटीन (protein) एवं राइबोन्यूक्लिक एसिड (ribonucleic acid) के साथ संकुचित संरचनाओं के रूप में उपस्थित होता है जिसे कोशिका नाभिक (cell nucleus) में रहने वाले गुणसूत्र (chromosome) के नाम से जाना जाता है। डीएनए अणु की आकृति घुमावदार सीढ़ी की भांति होती है।
डीएनए मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं जैसे:-
ए -डीएनए वह होते हैं जो समान रूप से मुख्य डीएनए के दाएं तरफ कुण्डलीकार अवस्था में होते हैं जो आकार में छोटे, चौड़े तथा एक गहरे छोटे व बड़े उथले खांच युक्त होते हैं। इसमें दोनों खांचों की गहराई लगभग एक समान होती है। यह वामावर्त कुंडलित होते हैं जिसके प्रत्येक कुंडल में 10.9/11 क्षार युग्म की उपस्थिति होती है। ए -डीएनए निर्जलित डीएनए के प्रकार का होता है जो मुख्य रूप से डीएनए को सुरक्षित रखने का कार्य करता है। इसके अलावा यह डीएनए से प्रोटीन के विलायक को भी हटाने का कार्य करता है। इसके अलावा यह कुंडलन की मुख्य अक्ष से 13 डिग्री की दूरी पर स्थित होते हैं।
बी -डीएनए वह होता है जिसमें डीएनए का कुंडलित रज्जुक (coiled rope) पतला एवं लंबा होता है। इस प्रकार के डीएनए की एक खांच गहरी एवं दूसरी उथली होती है। यह डीएनए का सबसे आम प्रकार माना जाता है क्योंकि इसमें डीएनए की संरचना सामान्य शारीरिक स्थितियों के अनुसार होती है। इसके अलावा बी -डीएनए के प्रत्येक कुंडलन में 10.9/11 क्षार युग्म की भी उपस्थिति होती है एवं यह क्षार कुंडलन की मुख्य अक्ष से 2 डिग्री की दूरी पर स्थित होते हैं।
जेड -डीएनए वह होता है जिसमें डीएनए का कुंडलित रज्जुक लंबा, पतला एवं गहरा खांच युक्त होता है। यह डीएनए के बायीं ओर जिग-ज़ैग पैटर्न (टेढ़ा-मेढ़ा दिखाई देने वाला) में उपस्थित होता है जिसके कारण इसे जेड -डीएनए का नाम दिया गया है। माना जाता है कि इस प्रकार का डीएनए जींस (Genes) के नियमन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दक्षिणावर्त कुंडलित होता है जिसके प्रत्येक कुंडलन में 12 क्षार युग्म की उपस्थिति होती है।
डीएनए एक सीढ़ीनुमा एवं घुमावदार दिखाई देने वाला अणु होता है जिसके कारण यह एक अद्वितीय आकार का प्रतीत होता है जिसे डबल हिलेक्स (double hilux) के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा डीएनए का एक मॉलिक्यूल (molecule) चार अलग-अलग तत्वों से मिलकर बना होता है जो न्यूक्लियोटाइड (nucleotide) का एक डबल स्ट्रैंन्डस पॉलीमर (double strand polymer) कहलाता है। इसमें पाए जाने वाले प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड को नाइट्रोजन युक्त (nitrogenous) वस्तु भी कहा जाता है। इन नाइट्रोजन युक्त वस्तुओं को ग्वानिन (guanine), साइटोसिन (cytosine), एडेनिन (adenine) एवं थाइमिन (thiamine) कहा जाता है। यह न्यूक्लियोटाइडोन (nucleotide) को एक फास्फेट की अणु से जोड़ने का कार्य करता है जिसके कारण कोशिका में आवश्यक प्रोटीन का निर्माण होता है। डीएनए प्रत्येक जीवित कोशिकाओं के लिए बेहद अनिवार्य होता है। माना जाता है कि डीएनए का निर्माण न्यूक्लियोटाइड नामक अणुओं की सहायता से होता है जिसके प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड में एक फास्फेट ग्रुप (phosphate group), शुगर ग्रुप (sugar group) एवं एक नाइट्रोजन बेस (nitrogenous base) की उपस्थिति होती है। नाइट्रोजन बेस मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं:-
प्रत्येक जीव के अंदर पाए जाने वाले डीएनए में एडेनीन (ए) एवं गैनीन (जी) के दो रिंग की उपस्थिति होती है जिसे प्युरिंस (purines) के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इस रिंग में थिइमाइन (टी) एवं साइटोसिन (सी) बेस भी होता है जिसे पाइरिमिडीन (pyrimidine) कहा जाता है। डीएनए के अंदर न्यूक्लियोटाइड किसी चेन की भांति संरचना का निर्माण करते हैं जिसका संबंध कोवैलेंट बॉन्ड (covalent bond) से होता है।
डीएनए का प्रमुख कार्य सभी अनुवांशिक क्रियाओं को संचालित करना एवं सभी प्रोटीन संश्लेषण को नियंत्रित करना होता है। यह न्यूक्लियोटाइड कि वह श्रृंखला होती है जो सभी जीवित जीवों के विकास, कार्यप्रणाली, पुनरुत्पादन आदि कार्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। डीएनए का मुख्य कार्य कोशिका में सूचना का दीर्घकालिक भंडारण करना होता है। इस सूचना में कोशिका के महत्वपूर्ण घटकों जैसे प्रोटीन एवं आरएनए अणुओं का निर्माण करने के निर्देश निहित होते हैं। डीएनए कोशिका के नाभिक के अंदर संग्रहित होते हैं जिसे साइटोप्लाज्म (cytoplasm) कहा जाता है। इसके अलावा इसमें बैक्टीरिया (bacteria) और आर्काइया (archaea) जैसे प्रोकैरियोट्स (prokaryotes) में भी मौजूद होते हैं।
डीएनए मुख्य रूप से एक जेनेटिक कोड (genetic code) का उपयोग करके प्रोटीन में एक प्रकार के एसिड अवशेषों के क्रम को दर्शाते हैं जिसे एमिनो एसिड (amino acid) कहा जाता है। इसके अलावा डीएनए में मौजूद कोशिकाएं अनुवांशिक कोड को समझने के लिए न्यूक्लिक एसिड (nucleic acids) में पाए जाने वाले आरएनए में डीएनए की संरचना की प्रति बनाने का भी कार्य करते हैं।
आरएनए एक प्रकार का न्यूक्लिक एसिड (nucleic acids) होता है जो सीधे तौर पर प्रोटीन संश्लेषण (protein synthesis) के कार्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आरएनए का पूरा नाम राइबोस न्यूक्लिक अम्ल (Ribose Nucleic Acid) होता है जो अणुओं में राइबोसोम शर्करा (ribosome sugar) को दर्शाता है। आरएनए में मौजूद प्रोटीन का संश्लेषण इन्हीं अणुओं के माध्यम से होता है। आरएनए की श्रृंखला में फास्फेट (phosphate) एवं राइबोज़ शर्करा की इकाइयां एकांतर में स्थापित होती है। डीएनए की तरह ही आरएनए में भी राइबोसोम से संबंधित चार क्षारक होते हैं परंतु इसमें थायमीन (thiamine) के स्थान पर यूरासिल (uracil) की उपस्थिति होती है। किसी भी जीवित जीव के शरीर में आरएनए एवं डीएनए की एक समान प्रकार की भूमिकाएं होती है। आरएनए शरीर में डीएनए के जींस की नकल करके उसे व्यापक रूप से प्रवाहित करने का कार्य करता है। इसके अलावा आरएनए कोशिकाओं में विभिन्न प्रकार की अनुवांशिक सामग्री पहुंचाने में भी सक्षम होता है।
आरएनए मुख्य रूप से 5 प्रकार के होते हैं जैसे:-
एम- आरएनए को संदेशवाहक आरएनए भी कहा जाता है जो प्रोटीन संश्लेषण के लिए केंद्रक के अंदर मौजूद डीएनए से प्रोटीन संश्लेषण की स्थिति तक सूचना प्राप्त करने का कार्य करते हैं। इसका निर्माण डीएनए के रज्जु को टेम्पलेट के रूप में प्रयोग करने के पश्चात होता है। इसके अलावा एम- आरएनए का निर्माण केंद्रक (nucleus), गोल्जिकाय (golgi body), एन्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम (endoplasmic reticulum) एवं राइबोसोम्स (ribosomes) में होता है। यह जींस में एकल प्रोटीन कोडिंग जींस (coding jeans) की एक प्रति होती है।
यह आरएनए का सूक्ष्म रूप होता है जिसमें लगभग 75 से 95 राईबोन्यूक्लियोटाइड (ribonucleotide) की उपस्थिति होती है। यह प्रोटीन के संश्लेषण के दौरान राइबोसोम (ribosome) के अ -स्थल (A-place) में मुख्य रूप से अमीनो एसिड का स्थानांतरण करने का कार्य करते हैं। प्रत्येक टी- आरएनए (tRNA) एक अमीनो एसिड (amino acid) के लिए विशिष्ट होते हैं। यह मुख्य रूप से प्रोटीन संश्लेषण हेतु अमीनो एसिड को कोशिका द्रव्य से राइबोसोम में स्थानांतरित करने का कार्य करते हैं जिसके कारण इसे टी- आरएनए कहा जाता है।
राइबोसोम को मुख्य रूप से आर- आरएनए के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। यह आरएनए के महत्वपूर्ण कार्यों में जींस (Genes) को सुचारू बनाने एवं उनकी प्रतियां तैयार करने में सहायता प्रदान करता है। इसके अलावा यह विभिन्न प्रकार के प्रोटीनों के मध्य आपसी संबंध बनाने का कार्य भी करता है।
एचएन- आरएनए को प्राथमिक आरएनए के नाम से भी जाना जाता है। यह यूकैरियोटिक (eukaryotic) के भीतर पाए जाते हैं। इस प्रकार के आरएनए को गैर-कोडिंग क्षेत्रों एवं कोडिंग क्षेत्रों के विभाजन के रूप में भी जाना जाता है।
एसएन- आरएनए अणुओं का वह सूक्ष्तम रूप होता है जो यूकैरियोटिक कोशिकाओं (eukaryotic cells) में सेल नाभिक (cell nucleus) के भीतर पाए जाते हैं। इनकी औसतन लंबाई लगभग 150 न्यूक्लाइड (nuclide) होती है। यह केंद्रक (nucleus) के नाभिक (nucleus) में एक संदेशवाहक के रूप में कार्य करते हैं। यह एक विशिष्ट प्रोटीन की श्रृंखला से जुड़ा हुआ होता है।
आरएनए की संरचना डीएनए की तरह ही होती है परंतु इसमें थायमिन (thiamine) के स्थान पर यूरेसिल (uracil) मौजूद होता है। इसमें पाए जाने वाले प्यूरीन दो प्रकार के होते हैं पहला एडीनिन (adenine) एवं दूसरा ग्वानिन (guanine)। आरएनए की संरचना में शर्करा (sugar), फास्फेट (phosphate) एवं नाइट्रोजन बेस (nitrogenous base) के अणु आपसी सहयोग से एक न्यूक्लियोटाइड (nucleotide) का निर्माण करते हैं जो मुख्य रूप से फाॅस्फोडायइस्टर (phosphodiester) से क्रमबद्ध होकर पॉलिन्यूक्लियोटाइड (polynucleotide) की संरचना करते हैं।
आरएनए का मुख्य कार्य प्रोटीन संश्लेषण में सहायता करना होता है। यह विभिन्न प्रकार के प्रोटीन को जोड़ने का कार्य करके जींस को सुचारू बनाता है। इसके अलावा यह जींस की कई प्रतियां भी तैयार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आरएनए कई प्रकार पाए जाते हैं जो एक जीवित जीव के शरीर में प्रोटीनों को जोड़ने का कार्य करता है। आरएनए न्यूक्लियोटाइड्स (nucleotides) का एक बहुलक होता है। यह जींस की कोडिंग (coding of genes), डिकोडिंग (decoding) एवं अभिव्यक्ति में कई प्रकार की जैविक भूमिका निभाता है।
डीएनए और आरएनए में निम्नलिखित प्रकार के अंतर देखे जा सकते हैं:-